गाइस, ये क्वेश्चन कोई भी बंदा हो अगर वो सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन की फील्ड से किसी भी तरीके से रिलेशन रखता है या रिलेट करता है, तो वो इस क्वेश्चन के सामने जरूर आता है।
अगर आप सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन की फील्ड में जॉब करते हैं तो आपको अपने बॉस को बताना पड़ता है। ठीक है, आपको अपने जो सीनियर्स हैं उनको बताना पड़ता है कि आप इस वेबसाइट को कितने टाइम में रैंक करा देंगे। आपके बॉस या सीनियर्स आपसे पूछते हैं कि भाई कितना टाइम लगेगा, उन्हें बताओ। उन्हें क्लाइंट को बताना होता है कि इस वेबसाइट को रैंक कराने के लिए कितना टाइम लगेगा।
अगर आप फ्रीलांसिंग करते हैं, आपकी खुद की एजेंसी या डिजिटल मार्केटिंग वर्क आप करते हैं, तो उस केस में अगर आपको SEO का प्रोजेक्ट मिल गया, तो आपको डायरेक्टली क्लाइंट को बताना पड़ता है।
जो बिज़नेस ओनर्स हैं, अगर उन्हें अपनी वेबसाइट को किसी फ्रीलांसर या किसी एजेंसी को देना है SEO वर्क के लिए, तो उन्हें भी एक मोटा-मोटी आइडिया होना चाहिए कि वास्तव में एक वेबसाइट को रैंक कराने के लिए कितना टाइम लगता है।
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Blog post ko Google pe rank kaise karein? (Reality & Factors)
ये इम्पोर्टेन्ट इसलिए है क्योंकि अगर क्लाइंट को पता ही नहीं होगा, तो बजट किस तरीके से डिसाइड करेगा? जैसे – उसे 6 महीने लग सकते हैं, 8 महीने लग सकते हैं, 5 महीने लग सकते हैं, तो उसके हिसाब से उसे अपना बजट भी प्लान करना होगा।
ये क्वेश्चन बहुत सारे लोगों के दिमाग में रहता है और इसका कोई सीधा सा आंसर नहीं है। मतलब सबसे बड़ी प्रॉब्लम इस क्वेश्चन के सॉल्यूशन में यही है कि इसका कोई क्लियर आंसर नहीं है। बहुत सारे वैरिएबल्स हैं जो डिसाइड करते हैं कि आपको कितना टाइम लगेगा।
फिर भी कुछ स्टडी, रिसर्च और एनालिसिस के बेसिस पर हम इस क्वेश्चन को किसी हद तक सॉल्व कर लेते हैं या किसी हद तक लॉजिकल आंसर तक पहुँच जाते हैं।

तो भाई जो सबसे आसान आंसर है, वो है – It depends. और ये डिपेंड करता है बहुत सारे फैक्टर्स पर।
आप बहुत ध्यान से इस वीडियो को देखिएगा, बहुत सारी चीजें आपको क्लियर होंगी। फिर से मैं बता दूँ – क्लियरली ये कहना बिल्कुल गैरेंटी के साथ पॉसिबल नहीं है कि “तीन महीने लग जाएंगे सर, तीन महीने में वेबसाइट रैंक करा दूँगा।”
क्योंकि गूगल की कोई भी अपडेट आ सकती है। वेबसाइट की रैंकिंग गिर भी सकती है या बढ़ भी सकती है। हो सकता है जो प्रोजेक्शन आपने 3 महीने का किया था, वह 2.5 महीने में पूरा हो जाए या 2 महीने में ही रैंक हो जाए।
ये सब मैथमेटिकल और लॉजिकल प्रोजेक्शन पर आधारित होना चाहिए। आपको कई सारे फैक्टर्स, कॉम्पिटिशन और एल्गोरिथ्म चेंजेज को ध्यान में रखना पड़ता है। तो गाइस, चलिए एक्सप्लोर करना शुरू करते हैं कि आखिर एक वेबसाइट को रैंक कराने में कितना टाइम लगता है।
Blog post ko Google pe rank kaise karein?
जैसे मैंने बताया सीधा सा आंसर है—it depends और ये डिपेंड करता है बहुत सारे फैक्टर्स के ऊपर। कुछ फैक्टर्स मैंने यहाँ पर लिखे हुए हैं। इनको एक-एक करके डिस्कस करेंगे उन स्टेप्स के बेसिस पर वास्तव में कितना टाइम लग सकता है।
पहला फैक्टर – डोमेन की उम्र
सबसे पहला जो फैक्टर है वो है डोमेन। गाइस ये मैं नहीं कह रहा हूँ, ये Ahrefs ने एक स्टडी करी थी बहुत सारी वेबसाइट्स के ऊपर। उस स्टडी को करने के बाद Ahrefs ने ये कन्क्लूड किया और ये देखा कि—
जो टॉप 10 पोज़िशन्स की मैं बात कर रहा हूँ, जो टॉप 10 पोज़िशन्स में रैंक कर रही हैं वेबसाइट्स, सर्च इंजन रिजल्ट पेजेस के अंदर, वो वेबसाइट्स 2+ इयर्स से ज्यादा पुरानी हैं। यानी वो डोमेन जो है वो 2 साल से ज्यादा पुराने हैं।
तो ये एक फैक्टर है। अब यही फैक्टर नहीं है। आप ये मत सोचो कि भाई अगर हमारा डोमेन पुराना है तभी हम वेबसाइट रैंक कर पाएंगे। नहीं! ये सिर्फ एक फैक्टर है।
जब पता चला कि जितनी भी वेबसाइट्स हैं, उनका अगर डोमेन एज देखी जाए तो ऑन ऐन एवरेज 2 साल या 2 साल से ज्यादा के पुराने हैं। तो एक बात समझ में आई कि ये एक फैक्टर है। मतलब जितनी भी वेबसाइट्स टॉप 10 में रैंक हो रही हैं वो थोड़ी सी पुरानी वेबसाइट्स हैं।

दूसरा फैक्टर – कीवर्ड्स का चुनाव
सेकंड जो फैक्टर है, जो आप यहाँ पर देख रहे हो, that is actually कि किन कीवर्ड्स के लिए आप रैंक करना चाहते हो।
बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज़ है ये कि आप किस टाइप के कीवर्ड के लिए रैंक करना चाहते हो। जैसे अगर आपने बहुत ही easy-to-rank कीवर्ड पिक कर लिया तो आप जल्दी रैंक कर जाओगे, लेकिन अगर आपने बहुत ही ज्यादा कॉम्पिटिटिव कीवर्ड पकड़ लिया तो उस केस में आपको बहुत ज्यादा टाइम लग जाएगा।
कीवर्ड का उदाहर
एग्ज़ाम्पल के तौर पर मान लेते हैं कि मैंने एक कीवर्ड पकड़ लिया Digital Marketing Course। इसके ऊपर मैं अपनी वेबसाइट को रैंक कराना चाहता हूँ या अपने वेबपेज को रैंक कराना चाहता हूँ। गाइस, इसमें बहुत ज्यादा टाइम लग जाएगा। क्योंकि यहाँ पर जो कॉम्पिटिटर्स हैं, उन्होंने अपने वेबपेज पर बहुत ही भारी काम कर रखा है।
लेकिन अगर हम आसान कीवर्ड की बात करें—जैसे आज मैं एक वेबसाइट बनाता हूँ और मेरा कीवर्ड है Umr 10 ki। अब इस पर्टिकुलर कीवर्ड पर मुझे कितना टाइम लगेगा रैंक करने में? अगर सब कुछ सही हमने ऑन-पेज SEO ठीक कर रखा है और बैकलिंक बनाना शुरू कर दिया है, तो हो सकता है 2 हफ्तों में ही हम रैंक कर जाएँ।
क्योंकि इसके ऊपर कोई कॉम्पिटिशन ही नहीं है। बहुत सारे लोग इसके लिए ट्राई ही नहीं कर रहे बल्कि कोई भी नहीं ट्राई कर रहा होगा। कौन लिखेगा इस पर्टिकुलर कीवर्ड के ऊपर आर्टिकल या कौन?
तो अब सवाल ये है—Blog post ko Google pe rank kaise karein? इसका आंसर ये है कि इसमें कई फैक्टर्स डिपेंड करते हैं—डोमेन की उम्र, कीवर्ड्स का चुनाव, ऑन-पेज SEO और बैकलिंक्स का काम। अगर आप आसान कीवर्ड चुनते हो तो जल्दी रैंक कर सकते हो, लेकिन अगर कीवर्ड बहुत कॉम्पिटिटिव है तो टाइम ज्यादा लगेगा।
यानी, Blog post ko Google pe rank kaise karein? इसका शॉर्ट आंसर यही है कि सही स्ट्रैटेजी, सही कीवर्ड्स और लगातार मेहनत के साथ आप जल्दी से जल्दी गूगल पर रैंक कर सकते हो।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? (Keyword Research & Competitor Analysis)
तो दूसरा जो फैक्टर है सबसे इम्पॉर्टेंट फैक्टर। वो ये है कि किन कीवर्ड्स के ऊपर आप रैंकिंग चाह रहे हो?
तो जब आपके पास क्लाइंट आता है और आप उसकी वेबसाइट को ऑडिट कर रहे होते हैं, तो आप देखें कि उसने जो आपको इनिशियली कीवर्ड्स दिए हैं क्योंकि बातचीत में ये बात आ जाती है कि क्लाइंट आपको बोलता है – “सर, हमारे तो ये कीवर्ड्स हैं – बेस्ट प्लंबिंग सर्विसेज, बेस्ट IIT कोचिंग, बेस्ट कोचिंग इन दिल्ली।” तो अब आप एनालिसिस करेंगे कि “बेस्ट कोचिंग” वाला जो कीवर्ड है, उसको जब आप टाइप करेंगे तो सर्च इंजन रिजल्ट पेजेज़ (SERPs) में बहुत सारे रिजल्ट्स आएँगे।
अब जो टॉप फाइव रिजल्ट्स हैं, उनकी आप एनालिसिस करेंगे। जाकर देखेंगे कि ये टॉप फाइव रिजल्ट्स दिखाने वाली वेबसाइट्स कितनी अथॉरिटी रखती हैं, ये वेबसाइट्स कितनी पुरानी हैं, उनका कंटेंट किस तरीके का है और उनके बैकलिंक्स किस तरीके के हैं। उसके बेसिस पर आप थोड़ा-सा जजमेंट या एनालिसिस कर सकते हैं कि आपको कितना टाइम लगेगा।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? (Competition Example)
ठीक है, तो ये सारे फैक्टर्स हैं ना? क्योंकि ऐसा नहीं है कि केवल आप ही उस कीवर्ड के लिए कंपिट कर रहे हो। दूसरे लोग भी कंपिट कर रहे हैं। जैसे अगर मैं बोलूं कि “मैं क्लास में फर्स्ट आना चाहता हूँ।” तो उसकी कंडीशन क्या है?
अगर मुझे ऐसे क्लास में बिठा दिया जाए जहाँ बच्चे पढ़ने में उतने अच्छे नहीं हैं, तो मेरे चांसेस ज्यादा होंगे। मैं कम मेहनत करूँगा और फर्स्ट आ जाऊंगा।
लेकिन अगर उस क्लास में पहले से ही टॉप करने वाले बच्चे के पास 60% मार्क्स हैं, तो अगर आप 61% मार्क्स ले आओगे तो आप फर्स्ट आ जाओगे। लेकिन अगर आपको ऐसे ग्रुप में कंपिट करवा दिया जाए जिसमें पहले से ही 96–97% लाने वाले बच्चे हैं, तो आपको तो बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी 98% लाने के लिए। तभी आप फर्स्ट आओगे।
मतलब फर्स्ट आने की कंडीशन केवल आपके ऊपर डिपेंड नहीं करती, बल्कि आपके कॉम्पिटिटर पर भी डिपेंड करती है कि वो कहाँ पर खड़े हैं।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? (Competitor Profiling)
सेम चीज़ यहाँ पर भी होती है।
जो कीवर्ड हमने सेलेक्ट किया है, उसके ऊपर जो हमारे कॉम्पिटिटर्स हैं, उन्होंने क्या एफर्ट्स कर रखे हैं? उनके पास कितने बैकलिंक्स हैं? उनकी वेबसाइट का ऑन-पेज SEO कैसा है? उनका टेक्निकल SEO कितना स्ट्रॉन्ग है?
ये सारी चीज़ों की हमें स्टडी करनी आनी चाहिए।
ठीक है, वही मैंने थर्ड पॉइंट यहाँ पर लिखा हुआ है – “Whom you are competing with.”
तो आपके कॉम्पिटिटर्स की आपको पूरी प्रोफाइल एनालिसिस करनी पड़ेगी। और इस प्रोफाइल एनालिसिस में आपको उनका पूरा SWOT Analysis करना पड़ेगा – यानी उनकी करेंट स्ट्रेंथ क्या है, वीकनेस कहाँ है, अपॉर्च्युनिटीज़ क्या हैं और थ्रेट्स कहाँ से आ रहे हैं।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? – Complete Guide
ठीक है वो अभी करेंट कहाँ पर वीक है? और कहाँ पर वो स्टैंड कर रहे है ताकि आप उनसे बेहतर कर सके, उनसे और अच्छे रिजल्ट्स लाने के लिए ठीक है?
Budget और Quality Backlinks का महत्व
उसके बाद अगर आप यहाँ पर देखो, व्हिच इज़ अक्चुअली दी फॉर्थ पॉइंट – Your Budget for the Website। ये भी डिपेंड करता है। मान लेते है आपने बहुत सारी एनालिसिस कर ली, सारी रिसर्च कर ली और उसके बाद आपको समझ में आया कि मुझे बहुत ही क्वालिटी बैकलिंक्स अगर मिल जाए, तो मैं दो महीने में अपनी वेबसाइट को रैंक करा दूंगा।
अब क्वालिटी बैकलिंक्स बनाने के लिए क्या आपको रिसोर्सेस नहीं चाहिए? क्या आपको टीम नहीं चाहिए? क्या आपको कंटेंट नहीं चाहिए?
ठीक है, तो कंटेंट लिखने में क्या आपको कुछ स्पेंड नहीं करना पड़ेगा? आपको या आपके क्लाइंट को किसी को भी क्या कुछ अमाउंट नहीं स्पेंड करना पड़ेगा? आप बोलोगे, बिल्कुल स्पेंड करना पड़ेगा। बिना अमाउंट स्पेंड किये कंटेंट कैसे लिखेगा?
Budget Low होने पर Effect
अब अगर आपका बजट लो है, तो ये कंटेंट लिखने में टाइम लगेगा। आपने 10 आर्टिकल्स का प्रोजेक्शन किया था कि मैं 10 आर्टिकल्स लिखूंगा और दूसरी वेबसाइट्स पर पोस्ट कराऊंगा। लेकिन अगर बजट लो है, तो ये काम रुक जाएगा।
अगर ये काम रुक जाएगा, तो जो आपने प्रोजेक्शन करी थी दो महीने में इस वेबसाइट को रैंक कराने की, वो पॉसिबल नहीं हो पाएगी। तो ये सारे फैक्टर्स हैं।

Skill Set का Role
आपका स्किल सेट भी मायने रखता है। सारी चीजें मैंने एनालाइज करके आपको दे भी दी। लेकिन अगर आपको करना ही नहीं आता, आपको बैकलिंक्स बनाना ही नहीं आता, आपको ऑन-पेज SEO करना ही नहीं आता, तो क्या होगा?
मैंने कहा था कि आपको बेहतर ऑन-पेज करना होगा। अगर आप तीन महीने के अंदर रैंक करना चाहते हो और मान लेते हैं आपको ऑन-पेज करना ही नहीं आता, तो उस केस में वेबसाइट रैंक करना मुश्किल होगा।
SEO के Time Factors
तो अगर हम फिर से बात करें कि अपनी वेबसाइट को अगर हम रैंक कराना चाहते हैं सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के पॉइंट ऑफ व्यू से फर्स्ट पेज पर, तो हमें क्या एफर्ट्स करने पड़ेंगे और कितना टाइम लगेगा – ये सब चीजें डिपेंड करती हैं:
- आपकी वेबसाइट या डोमेन कितना पुराना है
- किस कीवर्ड पर आप रैंक कर रहे हो
- किनके साथ आप कंपिट कर रहे हो
- आपका बजट और रिसोर्सेस
- आपका स्किल सेट
यहाँ पर अगर मैं किसी नंबर्स से एनालिसिस पे पहुंचने की कोशिश करूँ, तो मेरे पास एक छोटा सा ग्राफ है। इसमें चार स्टेप्स क्लियर होते हैं, जिससे आपको अंदाजा लग जाएगा कि SEO कितना टाइम लेता है।
- Crawling में 1-2 घंटे लगते हैं।
- Indexing में 1-2 दिन लगते हैं।
- अगर इंडेक्सिबल है तो ठीक है, लेकिन अगर आपने robots.txt से ब्लॉक कर रखा है, तो प्रॉब्लम होगी।
तो अब आपको क्लियर हो गया होगा कि Blog post ko Google pe rank kaise karein? इसके लिए बजट, रिसोर्सेस, क्वालिटी बैकलिंक्स, कंटेंट और आपका स्किल सेट बहुत जरूरी है।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? इंडेक्सिंग का प्रोसेस
ठीक है या फिर आपने नो-इंडेक्स टैग लगा रखा है तो प्रॉब्लम होने वाली है। तो अगर आपकी वेबसाइट इंडेक्सेबल है, अगर आपकी वेबसाइट क्रॉलबल है, सब कुछ ठीक है तो गूगल सर्च कंसोल की हेल्प से आपको 1-2 दिन लगेंगे और आपकी वेबसाइट जो है वो इंडेक्स हो जाएगी। मतलब अब गूगल को आपकी वेबसाइट के बारे में पता चल गया।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? लो कॉम्पिटिशन कीवर्ड्स
लो कॉम्पिटिशन फ्रेसेस या कीवर्ड्स, क्वेरीज पर रैंक होने में दो से तीन महीने लगते हैं क्योंकि यह एक प्रोसेस है।
जैसे आपने क्या किया?
- आपने 15 दिन के अंदर सारा ऑन-पेज SEO निपटा दिया।
- नेक्स्ट 15 दिन में टेक्निकल SEO भी निपटा दिया।
- अब आपकी वेबसाइट रेडी हो गई।
लेकिन जब आप बैकलिंक्स बनाने जाओगे तो क्या तुरंत आपके बैकलिंक्स सारे इंडेक्स हो जाते हैं? नहीं।
ये कभी-कभी अप्रूवल के लिए चले जाते हैं, और इन सारी चीज़ों में टाइम लगता है। अप्रूवल होने में ही डेढ़-दो महीने लग जाते हैं।
तो अगर टाइम लगेगा, तो यही वजह है कि लो कॉम्पिटिशन कीवर्ड्स पर दो से तीन महीने का टाइम लग जाता है।
डिजिटल मार्केटिंग कोर्स का उदाहरण
लो कॉम्पिटिशन कीवर्ड्स का मतलब समझो—
जैसे मैं अगर इस कीवर्ड पर रैंक करना चाहता हूँ Digital Marketing Course in India, तो यह हाई वॉल्यूम और ज्यादा कॉम्पिटिशन वाला कीवर्ड है।
लेकिन अगर मैं Digital Marketing Course in Lucknow या Delhi या Mumbai या Pune पर रैंक करना चाहूँ तो वहाँ ऑपर्च्युनिटी ज्यादा है, और आसानी से रैंक किया जा सकता है।
तो यह है असली मतलब रैंकिंग फॉर लो कॉम्पिटिशन फ्रेसेस का।
Client Discussion Strategy
आपको अपने क्लाइंट से यह डिस्कस करना चाहिए कि अगर उनकी सर्विसेज ऑल ओवर इंडिया टारगेट करती हैं, तो टाइम ज्यादा लगेगा। लेकिन अगर हम इसे छोटे-छोटे हिस्सों (लो कॉम्पिटिशन कीवर्ड्स) में ब्रेक करें तो जल्दी रैंक करना आसान हो जाएगा।
इसलिए हमेशा सोच-समझकर कीवर्ड चुनें और SEO स्ट्रैटेजी को फॉलो करें। यही असली तरीका है Blog post ko Google pe rank kaise karein?
Blog post ko Google pe rank kaise karein?
हम इसके ऊपर भी एफ्फोर्ट्स करेंगे। कोई दिक्कत की बात नहीं, लेकिन इसमें टाइम लगेगा। तो क्या हम नए पेजेज़ बना सकते हैं? नए पेजेज़ इस टाइप से हम बना सकते हैं। आप मुझे बताइए, आप अपने क्लाइंट से डिस्कशन कर सकते हैं कि और किन सिटीज़ में आप सर्विसेज प्रोवाइड करते हो। वहाँ से हम ट्रैफिक ला सकते हैं या आप जब रिसर्च करोगे तो पता चल सकता है।
रिसर्च और क्लाइंट सजेश
ठीक है, जब आप रिसर्च करोगे कि और कहाँ-कहाँ ये कीवर्ड सिटी-वाइज सर्च हो रहा है, तो आप अपने क्लाइंट को खुद सजेस्ट कर सकते हो। क्योंकि अंत में क्लाइंट आपके एफर्ट से ज्यादा अपने रिजल्ट्स की चिंता करता है।
भले ही आपने पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत की वेबसाइट को रैंक कराने में, लेकिन अगर आपने दिमाग नहीं लगाया कि किस कीवर्ड पर रैंक कराना है, तो प्रॉब्लम हो सकती है। अगर आप इस टाइप के पांच-छह पेज बनाकर उन कीवर्ड्स पर रैंक कराने की कोशिश करेंगे, तो रिजल्ट्स और ट्रैफिक मिलेगा। हो सकता है कि वहीं से सेल्स और कन्वर्शन भी अच्छे आ जाएं।
रैंकिंग और टाइम फ्रे
आपको इन ऑपर्च्युनिटीज़ को मिस नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आपको 2–3 महीने में एक बेहतर रैंकिंग दे सकती हैं। यहाँ बेहतर रैंकिंग का मतलब है टॉप 10 में आना। लेकिन अगर Google पर significant success चाहिए, तो लगभग 4 से 12 महीने लग जाते हैं।
ये सब कई वैरिएबल्स पर डिपेंड करता है। अगर आप कॉम्पिटिटिव फ्रेज़ पर काम कर रहे हैं, तो 2 साल भी लग सकते हैं। मैंने खुद ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया है जहाँ क्लाइंट्स ने पेशेंस दिखाया और 1–1.5 साल तक इंतजार किया। उन्हें पता था कि उनके कीवर्ड्स कॉम्पिटिटिव हैं।
लॉन्ग टेल कीवर्ड्स और ब्लॉग रैंकिंग
इस दौरान आप क्लाइंट्स को सजेस्ट कर सकते हो कि वो ब्लॉग्स पर काम करवाएँ। क्योंकि ब्लॉग्स में लॉन्ग टेल कीवर्ड्स और लो कॉम्पिटिशन कीवर्ड्स मिलते हैं, जिससे रैंकिंग जल्दी इंप्रूव होती है। अगर अभी कुछ पेजेज़ को रैंक कराना है और वहाँ से बिजनेस व ट्रैफिक लाना है, तो यही सही तरीका है।
लेकिन मेन कीवर्ड पर रैंकिंग में टाइम लगता है। अगर हमें इसे थोड़ा जल्दी करना है तो हमें अपने रिसोर्सेज़ बढ़ाने होंगे। ज्यादा आर्टिकल्स लिखने होंगे, क्वालिटी बैकलिंक्स बनाने होंगे और टीम एक्सपैंड करनी होगी।
टाइम और कॉस्ट का बैलेंस
अगर क्लाइंट उस कॉस्ट को बेयर करने को तैयार है या हम खुद उस कॉस्ट को संभाल सकते हैं, तो जो प्रोसेस 12 महीने में होता है उसे 7–8 महीने में भी किया जा सकता है। इस तरह टाइम लिमिट को कम किया जा सकता है।
तो अब आपको समझ आ रहा होगा कि अगर सवाल आता है — Blog post ko Google pe rank kaise karein? और कितना टाइम लगेगा, तो सीधे बोल देना 2–3 महीने में रैंक करा देंगे, ये सही जवाब नहीं होगा।
रैंकिंग एक रेस की तरह है
ये असल में एक रेस है, बिल्कुल वैसे ही जैसे क्लास का कॉम्पिटिशन। अगर मैंने कहा कि मैं क्लास में फर्स्ट आ जाऊँगा, तो मुझे पहले ये देखना होगा कि क्लास में कितने बच्चे हैं और उनका लेवल क्या है।
इसी तरह, वेबसाइट को रैंक कराने में भी आपको रिसर्च, पेशेंस और सही स्ट्रैटेजी की जरूरत है। यही असली जवाब है जब पूछा जाए — Blog post ko Google pe rank kaise karein?
Blog post ko Google pe rank kaise karein?
उनका जो अभी एवरेज परसेंटेज है, वो कहाँ तक जा रहा है? उसके हिसाब से मैं अपनी प्लानिंग करूँगा, स्टडी करूँगा या फिर सीधे बोल दूंगा। उनको नहीं, नहीं, मैं एक महीने की तैयारी में फर्स्ट आ जाऊंगा क्लास में। ठीक है, तो हो सकता है मैं फर्स्ट आ जाऊं 15 दिन की तैयारी में। लेकिन यह डिपेंड करता है कि हम किस क्लास के अंदर जा रहे हैं, किस बैच के अंदर जा रहे हैं, और हमारा असली कॉम्पिटिशन किसके साथ है।
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Website Rank Hone Ka Time
तो इस चीज़ का असर अगर मैं सही मायने में आपको बताऊँ, how much time it takes to rank a website। अब आपको समझ में आ रहा होगा कि अगर डोमेन वाले फैक्टर को आप हटा भी दो तो दो चीजें सबसे बड़ी रहती हैं—
- कॉम्पिटिशन से रिलेटेड फैक्टर
- बजट और स्किल से रिलेटेड फैक्टर
इन्हीं पर बहुत कुछ डिपेंड करता है कि आपको कितना टाइम लगेगा वेबसाइट को रैंक कराने में।
Blog post ko Google pe rank kaise karein? Reality Check
इसके अलावा कोई अगर आपको ये बता रहा है कि एक महीने में रैंक हो जाएगी, डेढ़ महीने में हो जाएगी, ढाई महीने में हो जाएगी, तो सही है, कोई बता रहा होगा। लेकिन अगर उसने कैलकुलेशन करके नहीं बताया तो वो गलत है। हो सकता है कि उसने सिर्फ प्रेडिक्शन किया हो या भविष्यवाणी कर दी हो।
अगर कोई कहता है कि दो-तीन महीने में आपकी वेबसाइट को रैंक करा दूंगा और उसके पास कोई बैकअप या कैलकुलेशन नहीं है, तो ये सिर्फ एक अंदाज़ा है। लेकिन अगर कोई आपको दिखा दे कि—
- आपके कॉम्पिटिटर्स की रिसर्च हुई है
- उनका एवरेज बैकलिंक कितना है
- बैकलिंक की ग्रोथ स्पीड क्या है
- इतने बैकलिंक बनाने में कितने रिसोर्सेस और खर्च आएंगे
- वे किस तरह का कंटेंट पोस्ट कर रहे हैं और कितना ट्रैफिक आ रहा है
तो ये सब देखकर अगर कोई बोले कि दो-तीन महीने लगेंगे, तो बात समझ में आती है कि उसने मेहनत की है और जस्टिफाइड तरीके से आपको बताया है।
सही SEO Approach
देखिए, हवा में कोई भविष्यवाणी कर दे कि दो महीने लगेंगे और वो सही भी हो जाए, तो ये कोई सही तरीका नहीं है। अगर आप सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) कर रहे हैं, तो सही तरीका सिर्फ यही है कि आप डेटा बेस्ड एनालिसिस करें।
ये केवल तुक्का लगाने जैसा नहीं होना चाहिए। इसलिए मेरी एप्रोच हमेशा यही रहती है कि जो भी जवाब हो, उसके पीछे रिसर्च, डेटा और प्रॉपर एनालिसिस होनी चाहिए।
निष्कर्ष
मैं आपको वही सारी चीजें बताता हूँ जो मैं खुद करता हूँ। Blog post ko Google pe rank kaise karein? इसका सही जवाब सिर्फ यही है कि डेटा, रिसर्च और एफर्ट्स के साथ काम किया जाए। दोस्तों, आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको समझ में आया होगा।