अगर कोई कार खरीदना चाहता है, तो वह EMI पर लोन कैसे ले सकता है? कितना डाउन पेमेंट देना होगा? क्या डॉक्युमेंट्स लगेंगे, और कितने दिनों में गाड़ी डिलीवर हो जाएगी? और सबसे ज़रूरी बात है कि ये लोग इंटरेस्ट रेट कैसे सेट करते हैं, ताकि हमारी EMI 5 साल या 7 साल की जरूरत के हिसाब से तय हो। तो इन सभी बातों को समझने के लिए आपको यह ब्लॉग पूरी तरह पढ़ना होगी, बिल्कुल भी मिस न करें।
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जब कार खरीदते हैं तो सबसे पहले क्या देखते हैं?
तो देखें दोस्तों, सबसे पहले जब हम कार खरीदते हैं, तो हम केवल बजट देखते हैं। ठीक है दोस्तों, लेकिन बजट सिर्फ उन लोगों के लिए मायने रखता है जिनके पास डाउन पेमेंट देने के लिए पैसे होते हैं और जिनके डॉक्युमेंट्स पूरे होते हैं। सवाल यह उठता है कि जिन लोगों के पास जानकारी नहीं होती, उन्हें नहीं पता कि कितने डॉक्युमेंट्स लगेंगे, क्या-क्या चाहिए, और कितना डाउन पेमेंट दे सकते हैं। पैसे की भी समस्या होती है, लेकिन अगर आपको कार खरीदनी है, तो बजट के साथ-साथ पेपर्स भी देने होंगे।
कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स जरूरी होते हैं?
पेपर्स के लिए देखें, सबसे पहले किसी के पास ये तीन चीजें होनी चाहिए –
आधार कार्ड, पैन कार्ड, एक पासपोर्ट साइज फोटो और एक बिजली का बिल या लैंडलाइन टेलीफोन बिल। कोई ऐसा बिल जिस पर पता लिखा हो। क्या यह एड्रेस प्रूफ के लिए ठीक है? हां। ये सभी चीजें होनी चाहिए।
बैंक और इनकम प्रूफ की भूमिका
उसके बाद बात आती है बैंक की, यानी आपके इनकम प्रूफ की। इनकम प्रूफ के लिए यहां दो कैटेगरी बनाई गई हैं – एक है इनकम प्रूफ वालों की, दूसरी है NIP यानी Non-Income Proof वालों की।
कौन आते हैं NIP में? सब्जीवाले, दूधवाले, डेयरीवाले, किरानेवाले, यानी ऐसे लोग जिनके पास बैंक स्टेटमेंट नहीं है या जो बैंकिंग नहीं करते, जो अधिकतर कैश में काम करते हैं या कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं रखते और रजिस्ट्रेशन भी नहीं होता। ये लोग ITR फाइल नहीं करते, तो ये NIP में आते हैं। ऑटो रिक्शा ड्राइवर आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं।
NIP वालों की फाइनेंस प्रक्रिया
इन लोगों को थोड़े ज्यादा ब्याज दर पर लोन मिलता है और इनकी प्रोफाइल देखकर फाइनेंसर तय करता है कि कितना लोन मिलेगा, कहां से मिलेगा और किस बैंक से मिलेगा।
दूसरे आते हैं IP वाले – इनकम प्रूफ वाले। सैलरीड और बिजनेस वाले। सैलरीड लोग जो सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं, जिनकी सैलरी बैंक में आती है या जिनके पास सैलरी स्लिप होती है।
दूसरे लोग जो ITR फाइल करते हैं और उनका बिजनेस रजिस्टर्ड होता है, उनके पास भी सही बैंक स्टेटमेंट होता है।
इन दोनों मामलों में 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट लिया जाता है। इसके अलावा 2 साल का ITR और कुछ बैंकों में 3 साल का ITR लिया जाता है। इसमें फॉर्म 16 भी लिया जाता है, जो ITR के रूप में कार्य करता है। यह सारी जानकारी IP का इनकम प्रूफ बनती है।
पूरी फाइल कब लॉग होती है?
तो अगर ये सब कुछ है, तो आज ही आपकी फाइल लॉग हो जाएगी। जैसे ही आप सभी पेपर लेकर शोरूम जाएंगे, आपकी फाइल उसी दिन लॉग हो जाएगी। फाइनेंसर लॉगइन कर देगा और थर्ड पार्टी को क्रेडिट मैनेजर कॉल करेगा व फील्ड इन्वेस्टिगेशन (FI) करा देगा। FI भी 2-3 घंटे में हो जाती है। पूरा प्रोसेस उसी दिन हो जाता है। अगर कोई समस्या न हो तो उसी दिन गाड़ी के पेपर्स भी तैयार हो जाते हैं और अगले दिन आप गाड़ी ले सकते हैं।
NIP प्रोफाइल वालों की विशेष स्थिति
अब दूसरे सेक्टर की बात करें – ऑटो रिक्शा ड्राइवर, टैक्सी ड्राइवर, सब्ज़ीवाले आदि जिनके पास इनकम प्रूफ नहीं होता। इन लोगों का क्या होता है अगर वे ITR फाइल नहीं करते? फाइनेंसर पहले इनसे बात करता है, उन्हें देखता है, प्रोफाइल चेक करता है। इसमें 2-3 दिन लग सकते हैं। अगर प्रूफ हो तो एक दिन में काम हो सकता है, नहीं तो एफिडेविट आदि जैसे डॉक्युमेंट्स के कारण 2-3 दिन लगते हैं।
अगर कोई गांव में किसान है, तो उसकी जमीन की जमाबंदी ली जाती है, आधार कार्ड, फोटो, बैंक स्टेटमेंट भी लिया जाता है। अगर बैंक स्टेटमेंट नहीं है तो कुछ लिखित रूप में होता है और फिर फाइनेंसर फाइनेंशियल चेक करता है।
जीवनशैली और फील्ड वेरिफिकेशन
अगर कोई टैक्सी ड्राइवर, टेम्पो चालक या सब्ज़ी वाला है, तो उनके घर की फोटो ली जाती है। टीम जाकर उनकी जीवनशैली देखती है – उनकी कमाई कितनी है, वह कितना दे सकता है। फिर तय किया जाता है कि कौन सा बैंक लोन देगा।
अब बैंक की बात करें – जिनका इनकम प्रूफ अच्छा होता है, उन्हें नेशनल बैंक जैसे SBI, HDFC, ICICI संभालते हैं।
जिनके पास इनकम प्रूफ नहीं होता, उन्हें Mahindra Finance, IN, Chola, Mindal, OSAL Finance Bank, Sundaram, Sriram, Bajaj आदि बैंक लोन देते हैं।
ब्याज दर में फर्क
नेशनल बैंक जैसे HDFC, ICICI, SBI का ब्याज दर 9 से 10% तक होता है। लेकिन जो बैंक NIP लोगों को फाइनेंस करते हैं, उनका ब्याज दर 11 से 13% तक जाता है। वे 1-2% का क्लेम करते हैं क्योंकि वे ऐसी प्रोफाइल में हाथ डालते हैं जहां उन्हें ज्यादा ब्याज मिलता है।
तो अगर आप सोच रहे हैं कि gadi ka loan kaise milega, तो यह ब्याज दर और बैंक की प्रोफाइल की समझ होना जरूरी है।
बैंक में डायरेक्ट फाइल करने और शोरूम से फाइनेंस का फर्क
अगर आप बैंक में जाकर डायरेक्ट फाइल करते हैं, तो 7 दिन पहले करें क्योंकि बैंक तुरंत प्रोसेस नहीं करता। वहीं शोरूम से फाइल करने पर आप अगले दिन ही कार उठा सकते हैं। EMI का ज्यादा फर्क नहीं होता – ₹50 से ₹100 तक का ही।
कितना फाइनेंस मिलता है?
SBI, HDFC, ICICI जैसे बैंक प्रोफाइल के अनुसार 85% से 100% तक फाइनेंस कर सकते हैं – एक्स-शोरूम, RTO और इंश्योरेंस मिलाकर।
उदाहरण: Swift – ₹6,48,000 (ex-showroom), ₹70,000 (RTO), ₹32,000 (insurance) = ₹7,52,000 on-road।
इस पर आप ₹75,000 डाउन पेमेंट देकर लोन ले सकते हैं। लेकिन अगर पूरा लोन लेते हैं तो EMI ज्यादा होगी। टैक्सी ड्राइवर, ऑटो वाले ऐसा करते हैं क्योंकि वे EMI कमा कर चुकाते हैं। लेकिन अगर आपके पास पैसा है, तो डाउन पेमेंट ज्यादा दें ताकि EMI कम हो और ब्याज बचे।
NIP बैंक कितना फाइनेंस करते हैं?
Mahindra, Honda, Chola आदि बैंक सिर्फ एक्स-शोरूम प्राइस पर 70% से 90% तक फाइनेंस करते हैं। 100% नहीं करते। ₹5 लाख तक की कार पर ₹8,000 और ₹10 लाख तक पर ₹13,000। इसमें सर्विस चार्ज, डॉक्युमेंटेशन चार्ज और स्टाम्प ड्यूटी शामिल होते हैं। NIP बैंकों में यह चार्ज थोड़ा ज्यादा हो सकता है। कई लोग एक ही चेक देते हैं, कई 4-5। कुछ जगह चेक नहीं लिया जाता – EMI सीधे ऑटोमेटिक कटती है।
EMI कैसे सेट होती है?
Swift की लागत ₹7,52,000। आप 10%, 15%, 20% डाउन पेमेंट देकर लोन ले सकते हैं। जितना ज्यादा डाउन पेमेंट, उतनी कम EMI।
IP प्रोफाइल वालों के लिए – ₹5 लाख का लोन, 9.52% ब्याज, 5 साल – EMI ₹10,000।
NIP वालों के लिए – वही लोन, 12-13% ब्याज – EMI ₹11,200।
यानी ₹700-₹800 का फर्क।
7 साल पर:
IP ब्याज – ₹1,30,000
NIP ब्याज – ₹1,74,000
फर्क – ₹30,000+
तो इस उदाहरण से भी समझ आता है कि gadi ka loan kaise milega यह आपकी प्रोफाइल और डॉक्युमेंट्स पर निर्भर करता है।
सैलरी के आधार पर लोन योग्यता
अगर आपकी सैलरी ₹18,000 है, तो बैंक अधिकतम 60% यानी ₹10,800 तक की EMI देगा। बाकी ₹7,200 आपके खर्चों के लिए छोड़ देगा। बैंक आपकी प्रोफाइल देखकर तय करता है कि आप कितने लायक हैं।
सुझाव: लोन हमेशा सैलरी के आधे से कम होना चाहिए
भविष्य की ज़रूरतों – घर, ज़मीन, शिक्षा, इलाज आदि के लिए पैसे की ज़रूरत होती है। इसीलिए EMI कभी भी सैलरी के 50% से ज़्यादा न लें। वरना आप कर्ज में फंस सकते हैं।
निष्कर्ष
अगर कोई पूछे कि gadi ka loan kaise milega, तो:
- अच्छे इनकम प्रूफ से लोन जल्दी और सस्ता मिलेगा
- बिना इनकम प्रूफ पर भी लोन मिलेगा लेकिन ज्यादा ब्याज दर पर
- EMI आपकी सैलरी और डाउन पेमेंट के आधार पर सेट होती है
अंत में
अगर आपको ब्लॉग पसंद आया हो तो शेयर करें। कोई भी डाउट हो तो कमेंट करें, मैं जवाब दूंगा। अब आप जानते हैं कि gadi ka loan kaise milega, और कैसे सबसे सही तरीका चुना जाए।